🙏जय श्री राधे कृष्णा 🙏 


आज का ये श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता के अट्ठारहवें अध्याय 'मोक्षसंन्यासयोग से ही ..


तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत ।

तत्प्रसादात्परां शान्तिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम् ॥

(अध्याय 18, श्लोक 62)


इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्णा कहते हैं) - हे भारत ! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण में (लज्जा, भय, मान, बड़ाई और आसक्ति को त्यागकर एवं शरीर और संसार में अहंता, ममता से रहित होकर एक परमात्मा को ही परम आश्रय, परम गति और सर्वस्व समझना तथा अनन्य भाव से अतिशय श्रद्धा, भक्ति और प्रेमपूर्वक निरंतर भगवान के नाम, गुण, प्रभाव और स्वरूप का चिंतन करते रहना एवं भगवान का भजन, स्मरण करते हुए ही उनके आज्ञा अनुसार कर्तव्य कर्मों का निःस्वार्थ भाव से केवल परमेश्वर के लिए आचरण करना यह 'सब प्रकार से परमात्मा के ही शरण' होना है) जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति को तथा सनातन परमधाम को प्राप्त होगा।


आपका दिन शुभ हो !  


पुनीत माथुर, 

ग़ाज़ियाबाद।

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