🙏जय श्री राधे कृष्णा 🙏
मित्रों आज प्रस्तुत है श्रीमद्भगवद्गीता के अट्ठारहवें अध्याय 'मोक्षसंन्यासयोग से ही मेरा पसंदीदा श्लोक ....
सर्वकर्माण्यपि सदा कुर्वाणो मद्व्यपाश्रयः ।
मत्प्रसादादवाप्नोति शाश्वतं पदमव्ययम् ॥
(अध्याय 18, श्लोक 56)
इस श्लोक का भावार्थ : (श्री भगवान कहते हैं) - मेरे परायण हुआ कर्मयोगी तो संपूर्ण कर्मों को सदा करता हुआ भी मेरी कृपा से सनातन अविनाशी परमपद को प्राप्त हो जाता है।
शुभ दिन !
पुनीत कुमार माथुर
इंदिरापुरम, ग़ाज़ियाबाद।
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