नई दिल्ली : पुनीत माथुर। बिहार के बेगूसराय के बच्चों ने एक नया अविष्कार कर बड़ों-बड़ों को सोचने पर मजबूर कर दिया। यहां के नौवीं कक्षा के छात्रों ने केले  के तने से बिजली तैयार कर पर्यावरण अनुकूलता की दिशा में एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। सरकार अगर इनके बनाए गए प्रोजेक्ट पर गंभीरतापूर्वक काम करे तो बहुत ही कम लागत में पर्यावरण अनुकूल बिजली बनाई जा सकती है। 

माउंट लिट्रा पब्लिक स्कूल उलाव के नौवीं कक्षा के छात्र कुशाग्र कुमार और जयंत कुमार ने केले  के तने से बिजली बनाने का मॉडल तैयार किया और नाम दिया है ‘बनाना बायो बैटरी’।

कुशाग्र एवं जयंत ने बताया कि इस क्षेत्र में बहुतायत संख्या में केले की खेती देखकर इस पर हमने रिसर्च किया। केले के तने  से मामूली खर्च पर बिजली बनाई जा सकती है। हमने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू  किया तो सफलता मिली।

कुशाग्र एवं जयंत ने बताया कि पहले हम लोगों ने केले के तने को चार समान टुकड़ों में काटा और उस पर पानी डालकर सात दिन तक सड़ने के लिए छोड़ दिया। उसके बाद इसमें कॉपर और जिंक का दो इलेक्ट्रोड लगाया। लकड़ी का चार खाने का बॉक्स बनाया और एक-एक खाने में केले के कटे हुए तने को रख दिया और उसे श्रृंखलाबद्ध आपस में जोड़कर स्विच और बल्ब से जोड़ दिया। जब हम लोगों ने मल्टीमीटर से चेक किया तो प्रत्येक तने से 1.2 वोल्ट विद्युत उत्पन्न हो रहा था। जिसका मुख्य कारण है कि केले के तने में सिट्रिक अम्ल रहता है। 

जैसे-जैसे तना सड़ता जाएगा, उसमें सिट्रिक अम्ल की मात्रा बढ़ती जाएगी। इस तरह इसके प्रयोग से बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। खासकर वैसे किसान जो केले की खेती बहुतायत मात्रा और क्षेत्र में करते हैं, वह चाहें तो इस परियोजना को लघु व्यवसाय का रूप दे सकते हैं, जिसमें उनकी लागत मूल्य नहीं के बराबर होगी।

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