तेरे दरस के प्यासे नैना
एक झलक दिखला जाओ,
मन से तुम्हें पुकारें साईं
एक बार तो आ जाओ।
तुम्हें भक्त प्यारे हैं अपने
रखते सबका सदा खयाल,
फ़िर मुझ पर क्यूँ कृपा नहीं की
बस मेरा है यही सवाल,
कमी रह गई कहाँ भक्ति में
इतना तो बतला जाओ।
मन से तुम्हें पुकारें साईं
एक बार तो आ जाओ।
दीप जलाए जल से तुमने
सब ने देखा तेरा कमाल,
महामारी को दूर भगाया
आई थी जो बन कर काल,
फंसी भंवर में जीवन नैय्या
आ कर पार लगा जाओ।
मन से तुम्हें पुकारें साईं
एक बार तो आ जाओ।
ईर्ष्या, लोभ, मोह - माया ने
ऐसा फेंका हम पर जाल,
इनसे निकलें बाहर कैसे
चलती नहीं कोई भी चाल,
बंधनमुक्त करो हमको और
सही राह दिखला जाओ।
मन से तुम्हें पुकारें साईं
एक बार तो आ जाओ।
© पुनीत माथुर, ग़ाज़ियाबाद ।
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