नई दिल्ली : पुनीत माथुर। ऋषिकेश में जिला गंगा सुरक्षा समिति की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुक्रवार को आयोजित 36 वीं बैठक में नमामि गंगे कार्यों की समीक्षा की गई। मुख्य विकास अधिकारी निकिता खंडेलवाल ने पिछली बैठकों में जिलाधिकारी के निर्देशों पर हुए कामकाज की जानकारी ली।

जिला गंगा सुरक्षा समिति के नामित सदस्य पर्यावरणविद् विनोद जुगलान ने तीर्थ नगरी ऋषिकेश में पौराणिक रंभा एवं सरस्वती नदी के लिए नमामि गंगे परियोजना में नाला शब्द प्रयोग करने पर आपत्ति की।

इस पर उप जिलाधिकारी ऋषिकेश वरुण चौधरी ने स्पष्ट किया कि 1938 से पूर्व के भू -अभिलेखों की जांच में साफ हुआ है कि दोनों नदियों के लिए किसी भी स्थान पर नाला शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है।

नमामि गंगे योजना में त्रुटिवश ऐसा हुआ है। यह महज भूल है। भविष्य में भी इन पौराणिक नदियों को पूर्व के नाम से ही जाना जाएगा। नामित सदस्य द्वारा गंगा नदी के तटीय क्षेत्र में मृत पशुओं के निस्तारण का मामला भी उठाया गया। साथ ही ऋषिकेश वन क्षेत्र अंतर्गत 15 हेक्टेयर प्लांटेशन के निकट ग्राम सभा खड़क माफ की खाली पड़ी 10 एकड़ भूमि पर बर्ड टूरिज्म विकसित करने का सुझाव दिया ।

उन्होंने कहा कि इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी बल्कि स्थानीय स्तर पर युवाओं को नेचर गाइड के रूप में रोजगार के अवसर और सरकार और पंचायत सहित ग्रामीणों को राजस्व की प्राप्ति भी होगी।मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि अगली बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा होगी। 

नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त इलम दास ने बताया कि त्रिवेणी घाट पर गंगा अवलोकन केंद्र की स्थापना के लिए टिन शेड का निर्माण कराया जा रहा है। दिव्यांगों की गंगा तक पहुंच के लिए रैम्प की सुविधा प्रदान की गई है। पेयजल, जल संस्थान, प्रदूषण नियंत्रण विभाग, वन विभाग के कार्यों पर प्रगति है।

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