🙏जय श्री राधे कृष्णा 🙏 


मित्रों आज के इन दो श्लोकों में भगवान श्री कृष्ण बता रहे हैं कि कौन सा पुरुष तीनों प्रकार के गुणों से प्रभावित नहीं होता ....


समदुःखसुखः स्वस्थः समलोष्टाश्मकाञ्चनः ।

तुल्यप्रियाप्रियो धीरस् तुल्यनिन्दात्मसंस्तुतिः ॥

(अध्याय 14, श्लोक 24)


मानापमानयोस्-तुल्यस्तुल्यो मित्रारिपक्षयोः ।

सर्वारम्भपरित्यागी गुणातीतः स उच्यते ॥

(अध्याय 14, श्लोक 25)


इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं)- जो निरन्तर आत्म भाव में स्थित, दुःख-सुख को समान समझने वाला, मिट्टी, पत्थर और स्वर्ण में समान भाव वाला, ज्ञानी, प्रिय तथा अप्रिय को एक-सा मानने वाला और अपनी निन्दा-स्तुति में भी समान भाव वाला है।

जो मान और अपमान में सम है, मित्र और वैरी के पक्ष में भी सम है एवं सम्पूर्ण आरम्भों में कर्तापन के अभिमान से रहित है, वह पुरुष गुणातीत कहा जाता है।


आपका दिन शुभ हो ! 


पुनीत माथुर  

ग़ाज़ियाबाद।

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