🙏जय श्री राधे कृष्णा 🙏 


मित्रों आज के ये दो श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के चौदहवें अध्याय 'गुणत्रयविभागयोग' से ही हैं ... 


सर्वद्वारेषु देहेऽस्मिन्-प्रकाश उपजायते ।

ज्ञानं यदा तदा विद्याद्वि- वृद्धं सत्त्वमित्युत ॥

(अध्याय 14, श्लोक 11)


लोभः प्रवृत्तिरारम्भः कर्मणामशमः स्पृहा।

रजस्येतानि जायन्ते विवृद्धे भरतर्षभ ॥

(अध्याय 14, श्लोक 12)


इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं)- जिस समय इस देह में तथा अन्तःकरण और इन्द्रियों में चेतनता और विवेक शक्ति उत्पन्न होती है, उस समय ऐसा जानना चाहिए कि सत्त्वगुण बढ़ा है।

हे अर्जुन! रजोगुण के बढ़ने पर लोभ, प्रवृत्ति, स्वार्थबुद्धि से कर्मों का सकामभाव से आरम्भ, अशान्ति और विषय भोगों की लालसा- ये सब उत्पन्न होते है।


आपका दिन शुभ हो ! 


पुनीत माथुर  

ग़ाज़ियाबाद।

Share To:

Post A Comment: