🙏🌹जय श्री राधे कृष्ण🌹🙏 


मित्रों आज का यह श्लोक भी  श्रीमद्भगवद्गीता के नौवें अध्याय 'राजविद्याराजगुह्ययोग' से ही मैंने लिया है । 


मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्युः पापयोनयः 

स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम् ॥

(अध्याय 9, श्लोक 32)


इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं ) - हे अर्जुन! स्त्री, वैश्य, शूद्र तथा पापयोनि चाण्डालादि जो कोई भी हों, वे भी मेरे शरण होकर परमगति को ही प्राप्त होते हैं।


आपका दिन मंगलमय हो ! 


पुनीत माथुर  

ग़ाज़ियाबाद

Share To:

Post A Comment: