🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏
मित्रों आज के श्लोकों में भी भगवान श्री कृष्ण के विराट रुप का संजय द्वारा धृतराष्ट्र के समक्ष वर्णन किया जा रहा है ....
दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता ।
यदि भाः सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मनः ॥
(अध्याय 11, श्लोक 12)
इस श्लोक का भावार्थ : यदि आकाश में एक हजार सूर्य एक साथ उदय हो तो उनसे उत्पन्न होने वाला वह प्रकाश भी उस सर्वव्यापी परमेश्वर के प्रकाश की शायद ही समानता कर सके।
तत्रैकस्थं जगत्कृत्स्नं प्रविभक्तमनेकधा ।
अपश्यद्देवदेवस्य शरीरे पाण्डवस्तदा ॥
(अध्याय 11, श्लोक 13)
इन श्लोकों का भावार्थ : पाण्डुपुत्र अर्जुन ने उस समय अनेक प्रकार से अलग-अलग सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को सभी देवताओं के भगवान श्रीकृष्ण के उस शरीर में एक स्थान में स्थित देखा।
आपका दिन मंगलमय हो !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद।
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