🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏 


मित्रों अर्जुन द्वारा भगवान श्री कृष्ण से उनके विश्वरूप के दर्शन के लिए प्रार्थना करने पर भगवान कृष्ण ने अपना विश्वरूप दिखाया। आज के श्लोकों में  इसी विराट रुप का संजय द्वारा धृतराष्ट्र के समक्ष विश्वरूप का वर्णन किया जा रहा है ....


संजय उवाच

एवमुक्त्वा ततो राजन्महायोगेश्वरो हरिः ।

दर्शयामास पार्थाय परमं रूपमैश्वरम्‌ ॥ 

(अध्याय 11, श्लोक 9)


इस श्लोक का भावार्थ : संजय ने कहा - हे राजन्‌! इस प्रकार कहकर परम-शक्तिशाली योगी भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपना परम ऐश्वर्य-युक्त अलौकिक विश्वरूप दिखलाया। 


अनेकवक्त्रनयनमनेकाद्भुतदर्शनम्‌ ।

अनेकदिव्याभरणं दिव्यानेकोद्यतायुधम्‌ ॥ 

(अध्याय 11, श्लोक 10)


दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम्‌ ।

सर्वाश्चर्यमयं देवमनन्तं विश्वतोमुखम्‌ ॥ 

(अध्याय 11, श्लोक 11)


इन श्लोकों का भावार्थ : इस विश्वरूप में अनेकों मुँह, अनेकों आँखे, अनेकों आश्चर्यजनक दिव्य-आभूषणों से युक्त, अनेकों दिव्य-शस्त्रों को उठाए हुए, दिव्य-मालाएं, वस्त्र को धारण किए  हुए, दिव्य गंध का अनुलेपन किए  हुए, सभी प्रकार के आश्चर्यपूर्ण प्रकाश से युक्त, असीम और सभी दिशाओं में मुख किए हुए सर्वव्यापी परमेश्वर को अर्जुन ने देखा। 


शुभ दिन ! 


पुनीत माथुर  

ग़ाज़ियाबाद।

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