🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏 


मित्रों अर्जुन द्वारा भगवान श्री कृष्ण से उनके विश्वरूप के दर्शन के लिए प्रार्थना करने पर भगवान कृष्ण द्वारा विश्वरूप का वर्णन किया जा रहा है ....


इहैकस्थं जगत्कृत्स्नं पश्याद्य सचराचरम्‌ ।

मम देहे गुडाकेश यच्चान्यद्द्रष्टमिच्छसि ॥ 

(अध्याय 11, श्लोक 7)


इस श्लोक का भावार्थ : हे अर्जुन! तू मेरे इस शरीर में एक स्थान में चर-अचर सृष्टि सहित सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को देख और अन्य कुछ भी तू देखना चाहता है उन्हे भी देख।


न तु मां शक्यसे द्रष्टमनेनैव स्वचक्षुषा ।

दिव्यं ददामि ते चक्षुः पश्य मे योगमैश्वरम्‌ ॥ 

(अध्याय 11, श्लोक 8)


इस श्लोक का भावार्थ : किन्तु तू अपनी इन आँखो की दृष्टि से मेरे इस रूप को देखने में निश्चित रूप से समर्थ नहीं है, इसलिये मैं तुझे अलौकिक दृष्टि देता हूँ, जिससे तू मेरी इस ईश्वरीय योग-शक्ति को देख। 


आपका दिन शुभ हो ! 


पुनीत माथुर  

ग़ाज़ियाबाद।

Share To:

Post A Comment: