🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏
मित्रों अर्जुन द्वारा भगवान श्री कृष्ण से उनके विश्वरूप के दर्शन के लिए प्रार्थना करने पर भगवान कृष्ण द्वारा विश्वरूप का वर्णन किया जा रहा है ....
श्रीभगवानुवाच
पश्य मे पार्थ रूपाणि शतशोऽथ सहस्रशः ।
नानाविधानि दिव्यानि नानावर्णाकृतीनि च ॥
(अध्याय 11, श्लोक 5)
इस श्लोक का भावार्थ : श्री भगवान ने कहा - हे पार्थ! अब तू मेरे सैकड़ों-हजारों अनेक प्रकार के अलौकिक रूपों को और अनेक प्रकार के रंगो वाली आकृतियों को भी देख।
पश्यादित्यान्वसून्रुद्रानश्विनौ मरुतस्तथा ।
बहून्यदृष्टपूर्वाणि पश्याश्चर्याणि भारत ॥
(अध्याय 11, श्लोक 6)
इस श्लोक का भावार्थ : हे भरतश्रेष्ठ अर्जुन ! तू मुझमें अदिति के बारह पुत्रों को, आठों वसुओं को, ग्यारह रुद्रों को, दोनों अश्विनी कुमारों को, उनचासों मरुतगणों को और इसके पहले कभी किसी के द्वारा न देखे हुए उन अनेकों आश्चर्यजनक रूपों को भी देख।
आपका दिन मंगलमय हो !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद।
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