🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏
मित्रों आज के ये दोनों श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के दसवें अध्याय 'विभूति योग' से ही लिए हैं। इन श्लोकों में भी भगवान श्री कृष्ण अपने ऎश्वर्यों का वर्णन कर रहे हैं ।
उच्चैःश्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्धवम् ।
एरावतं गजेन्द्राणां नराणां च नराधिपम् ॥
(अध्याय 10, श्लोक 27)
इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं) - समस्त घोड़ों में समुद्र मंथन से अमृत के साथ उत्पन्न उच्चैःश्रवा घोड़ा मुझे ही समझ, मैं सभी हाथियों में ऐरावत हूँ, और मैं ही सभी मनुष्यों में राजा हूँ।
आयुधानामहं वज्रं धेनूनामस्मि कामधुक् ।
प्रजनश्चास्मि कन्दर्पः सर्पाणामस्मि वासुकिः ॥
(अध्याय 10, श्लोक 28)
इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्ण कह रहे हैं) - मैं सभी हथियारों में वज्र हूँ, मैं सभी गायों में सुरभि हूँ, मैं धर्मनुसार सन्तान उत्पत्ति का कारण रूप प्रेम का देवता कामदेव हूँ, और मै ही सभी सर्पों में वासुकि हूँ।
शुभ दिन !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
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