🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏 


मित्रों आज के दो श्लोकों में भी भगवान श्री कृष्ण अपने ऎश्वर्यों का वर्णन कर रहे हैं ...


रुद्राणां शङ्‍करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्‌ ।

वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम्‌ ॥ 

(अध्याय 10, श्लोक 23)


इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं) - मैं सभी रुद्रों में शिव हूँ, मैं यक्षों तथा राक्षसों में धन का स्वामी कुबेर हूँ, मैं सभी वसुओं में अग्नि हूँ और मै ही सभी शिखरों में मेरु हूँ। 


पुरोधसां च मुख्यं मां विद्धि पार्थ बृहस्पतिम्‌ ।

सेनानीनामहं स्कन्दः सरसामस्मि सागरः ॥ 

(अध्याय 10, श्लोक 24)


इस श्लोक का भावार्थ :  (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं) - हे पार्थ ! सभी पुरोहितों में मुख्य बृहस्पति मुझे ही समझ, मैं सभी सेनानायकों में कार्तिकेय हूँ, और मैं ही सभी जलाशयों में समुद्र हूँ। 


आपका दिन मंगलमय हो ! 


पुनीत माथुर  

ग़ाज़ियाबाद

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