🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏 


आप सभी को धनतेरस व छोटी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ! 


मित्रों भगवान श्री कृष्ण द्वारा अपने विषय में बताए जाने पर भावविभोर हुए अर्जुन ने श्री भगवान की स्तुति की। आज के श्लोक में भी इसी स्तुति का एक अंश प्रस्तुत है .....


स्वयमेवात्मनात्मानं वेत्थ त्वं पुरुषोत्तम ।

भूतभावन भूतेश देवदेव जगत्पते ॥ 

(अध्याय 10, श्लोक 15)


इस श्लोक का भावार्थ : (अर्जुन भगवान श्री कृष्ण की स्तुति करते हुए कह रहे हैं)- हे पुरूषोत्तम! हे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी! हे समस्त देवताओं के देव! हे समस्त प्राणीयों को उत्पन्न करने वाले! हे सभी प्राणीयों के ईश्वर! एकमात्र आप ही अपने आपको जानते हैं या फ़िर वह ही जान पाता है जिसकी अन्तर-आत्मा में प्रकट होकर आप अपना ज्ञान कराते हैं।  


शुभ दिन ! 


पुनीत माथुर  

ग़ाज़ियाबाद

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