नयी दिल्ली। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। यूं तो साल में 12 पूर्णिमा तिथियां आती हैं। लेकिन सभी पूर्णिमा में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। शरद पूर्णिमा से ही शरद ऋतु का आगमन होता है। शरद पूर्णिमा पर चांद अपनी सोलह कलाओं में होता है।

आज होता है मां लक्ष्मी का आगमन

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को पृथ्वी पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है और वे घर-घर जाकर सबको वरदान देती हैं, किन्तु जो लोग दरवाजा बंद करके सो रहे होते हैं, वहां से लक्ष्मी जी दरवाजे से ही वापस चली जाती हैं। तभी शास्त्रों में इस पूर्णिमा कोजागर व्रत, यानी कौन जाग रहा है व्रत भी कहते हैं। इस दिन की लक्ष्मी पूजा सभी कर्जों से मुक्ति दिलाती हैं। अतः शरदपूर्णिमा को कर्ज मुक्ति पूर्णिमा भी कहते हैं।

शरद पूर्णिमा पर खीर का प्रसाद क्यों 

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चांद से निकलने वाली किरणें अमृत की तरह होती है। शरद पूर्णिमा वाली रात को खीर बनाकर चांद की रोशनी में पूरी रात रखा जाता है। ऐसे मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणें जब पूरी रात खीर पर पड़ती तो खीर में विशेष औषधिगुण आ जाती है।   सुबह उठकर यह खीर प्रसाद के रुप में ग्रहण की जाती है। चंद्रमा की रोशनी में रखी गई खीर खाने से शरीर के रोग समाप्त होते हैं।

शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 

पूर्णिमा तिथि का आरंभ : 30 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 47 मिनट से

पूर्णिमा तिथि की समाप्ति : 31 अक्तूबर को रात के  8 बजकर 21 मिनट पर


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