🙏🌹जय श्री राधे कृष्ण🌹🙏
मित्रों पिछले कुछ दिनों से मैं श्रीमद्भगवद्गीता के नौवें अध्याय 'राजविद्याराजगुह्ययोग' से चुनिंदा श्लोक यहां प्रस्तुत कर रहा हूँ, आज का श्लोक भी मैंने इसी अध्याय से लिया है ।
शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबन्धनैः ।
संन्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि ॥
(अध्याय 9, श्लोक 28)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं ) - इस प्रकार, जिसमें समस्त कर्म मुझ भगवान के अर्पण होते हैं- ऐसे संन्यासयोग से युक्त चित्तवाला तू शुभाशुभ फलरूप कर्मबंधन से मुक्त हो जाएगा और उनसे मुक्त होकर मुझको ही प्राप्त होगा।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
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