🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏
मित्रों आज का श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के नौवें अध्याय 'राजविद्याराजगुह्ययोग' से ही है ।
येऽप्यन्यदेवताभक्ता यजन्ते श्रद्धयान्विताः ।
तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम् ॥
(अध्याय 9, श्लोक 23)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं ) -हे अर्जुन! यद्यपि श्रद्धा से युक्त जो सकाम भक्त दूसरे देवताओं को पूजते हैं, वे भी मुझको ही पूजते हैं, किंतु उनका वह पूजन अविधिपूर्वक अर्थात् अज्ञानपूर्वक है।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
Post A Comment: