🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏 


मित्रों आज का श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के नौवें अध्याय 'राजविद्याराजगुह्ययोग' से ही है । 


न च मां तानि कर्माणि निबध्नन्ति धनंजय ।

उदासीनवदासीनमसक्तं तेषु कर्मसु ॥

(अध्याय 9, श्लोक 9)


इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं ) - हे अर्जुन! उन कर्मों में आसक्तिरहित और उदासीन के सदृश (जिसके संपूर्ण कार्य कर्तृत्व भाव के बिना अपने आप सत्ता मात्र ही होते हैं उसका नाम 'उदासीन के सदृश' है।) स्थित मुझ परमात्मा को वे कर्म नहीं बाँधते।


आपका दिन मंगलमय हो !  


पुनीत माथुर  

ग़ाज़ियाबाद

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