🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏 


मित्रों आज का श्लोक भी  श्रीमद्भगवद्गीता के नौवें अध्याय 'राजविद्याराजगुह्ययोग' से ही है । 


प्रकृतिं स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुनः पुनः ।

भूतग्राममिमं कृत्स्नम-वशं प्रकृतेर्वशात् ॥

(अध्याय 9, श्लोक 8)


इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं ) - अपनी प्रकृति को अंगीकार करके स्वभाव के बल से परतंत्र हुए इस संपूर्ण भूतसमुदाय को बार-बार उनके कर्मों के अनुसार रचता हूँ।

आपका दिन शुभ हो !  


पुनीत माथुर  

ग़ाज़ियाबाद

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