🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏
आज का श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के आठवें अध्याय 'अक्षर ब्रह्म योग' से ही लिया है ....
अग्निर्ज्योतिरहः शुक्लः षण्मासा उत्तरायणम् ।
तत्र प्रयाता गच्छन्ति ब्रह्म ब्रह्मविदो जनाः ॥
(अध्याय 8, श्लोक 24)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं ) - जिस मार्ग में ज्योतिर्मय अग्नि-अभिमानी देवता हैं, दिन का अभिमानी देवता है, शुक्ल पक्ष का अभिमानी देवता है और उत्तरायण के छः महीनों का अभिमानी देवता है, उस मार्ग में मरकर गए हुए ब्रह्मवेत्ता योगीजन उपयुक्त देवताओं द्वारा क्रम से ले जाए जाकर ब्रह्म को प्राप्त होते हैं।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
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