🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏
आज का श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के आठवें अध्याय 'अक्षर ब्रह्म योग' से ही लिया है ....
पुरुषः स परः पार्थ भक्त्या लभ्यस्त्वनन्यया ।
यस्यान्तःस्थानि भूतानि येन सर्वमिदं ततम् ॥
(अध्याय 8, श्लोक 22)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं ) - हे पार्थ! जिस परमात्मा के अंतर्गत सर्वभूत हैं और जिस सच्चिदानन्दघन परमात्मा से यह समस्त जगत परिपूर्ण है , वह सनातन अव्यक्त परम पुरुष तो अनन्य भक्ति से ही प्राप्त होने योग्य है।
आपका दिन मंगलमय हो !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
Post A Comment: