🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏
आज का श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के आठवें अध्याय 'अक्षर ब्रह्म योग' से ही लिया है ....
अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः ।
तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः ॥
(अध्याय 8, श्लोक 14)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं ) - हे अर्जुन! जो पुरुष मुझमें अनन्य-चित्त होकर सदा ही निरंतर मुझ पुरुषोत्तम को स्मरण करता है, उस नित्य-निरंतर मुझमें युक्त हुए योगी के लिए मैं सुलभ हूँ, अर्थात उसे सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ।
शुभ दिन !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
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