🙏राधे राधे 🙏
प्रणाम मित्रों !
मित्रों आज का श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के सातवें अध्याय 'ज्ञान विज्ञान योग' से ही है ....
दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया ।
मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते ॥
(अध्याय 7, श्लोक 14)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्णा कहते हैं) - क्योंकि यह अलौकिक अर्थात अति अद्भुत त्रिगुणमयी मेरी माया बड़ी दुस्तर है, परन्तु जो पुरुष केवल मुझको ही निरंतर भजते हैं, वे इस माया को उल्लंघन कर जाते हैं अर्थात् संसार से तर जाते हैं।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
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