🙏राधे राधे 🙏
आप सभी को प्रणाम मित्रों!
आज का श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के सातवें अध्याय 'ज्ञान विज्ञान योग' से ही है ....
ये चैव सात्त्विका भावा राजसास्तामसाश्च ये ।
मत्त एवेति तान्विद्धि न त्वहं तेषु ते मयि ॥
(अध्याय 7, श्लोक 12)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्णा कहते हैं) - और भी जो सत्त्व गुण से उत्पन्न होने वाले भाव हैं और जो रजो गुण से होने वाले भाव हैं, उन सबको तुम 'मुझसे ही होने वाले हैं' ऐसा जानो , परन्तु वास्तव में उनमें मैं और वे मुझमें नहीं हैं।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
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