🙏राधे राधे 🙏

प्रणाम !

आज का श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के सातवें अध्याय 'ज्ञान विज्ञान योग' से ही है ....

पुण्यो गन्धः पृथिव्यां च तेजश्चास्मि विभावसौ ।
जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु ॥
(अध्याय 7, श्लोक 9)

इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्णा कहते हैं) - मैं पृथ्वी में पवित्र (शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध से इस प्रसंग में इनके कारण रूप तन्मात्राओं का ग्रहण है, इस बात को स्पष्ट करने के लिए उनके साथ पवित्र शब्द जोड़ा गया है।) गंध और अग्नि में तेज हूँ तथा सम्पूर्ण भूतों में उनका जीवन हूँ और तपस्वियों में तप हूँ। 

शुभ दिन !

पुनीत माथुर  
ग़ाज़ियाबाद
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