🙏राधे राधे 🙏

आप सभी को प्रणाम !

आज का श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के सातवें अध्याय 'ज्ञान विज्ञान योग' से ही है ....

रसोऽहमप्सु कौन्तेय प्रभास्मि शशिसूर्ययोः ।
प्रणवः सर्ववेदेषु शब्दः खे पौरुषं नृषु ॥
(अध्याय 7, श्लोक 8)

इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्णा कहते हैं) - हे अर्जुन! मैं जल में रस हूँ, चन्द्रमा और सूर्य में प्रकाश हूँ, सम्पूर्ण वेदों में ओंकार हूँ, आकाश में शब्द और पुरुषों में पुरुषत्व हूँ। 

आपका दिन शुभ हो !

पुनीत माथुर  
ग़ाज़ियाबाद
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