🙏राधे राधे 🙏
आप सभी को प्रणाम मित्रों !
आज का श्लोक भी मैंने श्रीमद्भगवद्गीता के छठे अध्याय 'आत्मसंयम योग' से ही लिया है।
योगिनामपि सर्वेषां मद्गतेनान्तरात्मना।
श्रद्धावान् भजते यो मां स मे युक्ततमो मतः॥
(अध्याय 6, श्लोक 47)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्णा कहते हैं) - सभी योगियों में भी जो श्रद्धावान योगी मुझमें लगे हुए अन्तरात्मा से मुझको निरन्तर भजता है, वह योगी मुझे श्रेष्ठतम मान्य है।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
Post A Comment: