आज का श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता के आठवें अध्याय 'अक्षर ब्रह्म योग' से .....
अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् ।
यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः ॥
(अध्याय 8, श्लोक 5)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण ने कहा) - जो पुरुष अंतकाल में भी मुझको ही स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग कर जाता है, वह मेरे साक्षात स्वरूप को प्राप्त होता है- इसमें कुछ भी संशय नहीं है।
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
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