🙏🌹जय श्री राधे कृष्ण🌹🙏

प्रणाम मित्रों 🙏

आज श्रीमद्भगवद्गीता के सातवें अध्याय 'ज्ञान विज्ञान योग' का यह अंतिम श्लोक प्रस्तुत है ....

साधिभूताधिदैवं मां साधियज्ञं च ये विदुः ।
प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतसः ॥
(अध्याय 7, श्लोक 30)

इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्णा कहते हैं) - जो पुरुष अधिभूत और अधिदैव सहित तथा अधियज्ञ सहित (सबका आत्मरूप) मुझे अन्तकाल में भी जानते हैं, वे युक्तचित्तवाले पुरुष मुझे जानते हैं अर्थात प्राप्त हो जाते हैं।

शुभ दिन !

पुनीत माथुर  
ग़ाज़ियाबाद
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