🙏🌹जय श्री कृष्ण🌹🙏
आप सभी को प्रणाम मित्रों !
आज का यह बहुत सुंदर श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के सातवें अध्याय 'ज्ञान विज्ञान योग' से ही है ....
नाहं प्रकाशः सर्वस्य योगमायासमावृतः ।
मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम् ॥
(अध्याय 7, श्लोक 25)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण कहते हैं) - अपनी योगमाया से छिपा हुआ मैं सबके प्रत्यक्ष नहीं होता, इसलिए यह अज्ञानी जनसमुदाय मुझ जन्मरहित अविनाशी परमेश्वर को नहीं जानता अर्थात मुझको जन्मने-मरने वाला समझता है।
शुभ दिन !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
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