🙏राधे राधे 🙏
आप सभी को प्रणाम मित्रों !
मित्रों आज का श्लोक भी मैंने श्रीमद्भगवद्गीता के छठे अध्याय 'आत्मसंयम योग' से ही लिया है।
यदा विनियतं चित्तमात्मन्येवावतिष्ठते।
निःस्पृहः सर्वकामेभ्यो युक्त इत्युच्यते तदा॥
(अध्याय 6, श्लोक 18)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं) जब नियंत्रित किया हुआ चित्त आत्मा में ही स्थिर हो जाता है, तब सभी भोगों में इच्छा से रहित पुरुष को योगयुक्त कहा जाता है।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
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