🙏 राधे राधे 🙏
आप सभी को प्रणाम मित्रों !
मित्रों आज का श्लोक भी मैंने श्रीमद्भगवद्गीता के छठे अध्याय 'आत्मसंयम योग' से ही लिया है।
जितात्मनः प्रशान्तस्य परमात्मा समाहितः।
शीतोष्णसुखदुःखेषु तथा मानापमानयोः॥
(अध्याय 6, श्लोक 7)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं) सर्दी-गर्मी, सुख-दुःख और मान-अपमान में जिसने स्वयं को जीता हुआ है, ऐसा पुरुष परमात्मा में सम्यक् प्रकार से स्थित है।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत कृष्णा
ग़ाज़ियाबाद
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