🙏राधे राधे 🙏
आप सभी को प्रणाम मित्रों !
आज का श्लोक भी मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के पांचवे अध्याय 'कर्म संन्यास योग' से ।
कामक्रोधवियुक्तानां यतीनां यतचेतसाम्।
अभितो ब्रह्मनिर्वाणं वर्तते विदितात्मनाम्॥
(अध्याय 5, श्लोक 26)
इस श्लोक का अर्थ है : (श्री कृष्ण भगवान कहते हैं) काम-क्रोध से रहित, जीते हुए चित्त वाले, आत्म- साक्षात्कार किए हुए योगियों के लिए सब ओर से शांत परब्रह्म ही परिपूर्ण है।
पुनीत कृष्णा
ग़ाज़ियाबाद
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