🙏राधे राधे 🙏

आप सभी को प्रणाम!

आज का श्लोक भी मैंने लिया है  श्रीमद्भगवद्गीता के पांचवे अध्याय 'कर्म संन्यास योग' से । 

इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः।
निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः॥
(अध्याय 5, श्लोक 19)

इस श्लोक का अर्थ है : (श्री कृष्ण भगवान कहते हैं) जिनका मन सम भाव में स्थित है, उनके द्वारा यहाँ संसार में ही लय(मुक्ति) को प्राप्त कर लिया गया है; क्योंकि ब्रह्म निर्दोष और सम है, इसलिए वे ब्रह्म में ही स्थित हैं।

आपका दिन शुभ हो !

पुनीत कृष्णा 
ग़ाज़ियाबाद
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