🙏राधे राधे 🙏
आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !
आज का श्लोक भी मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के पांचवे अध्याय 'कर्म संन्यास योग' से ।
तद्बुद्धयस्तदात्मानस् तन्निष्ठास्तत्परायणाः।
गच्छन्त्यपुनरावृत्तिं ज्ञाननिर्धूतकल्मषाः॥
(अध्याय 5, श्लोक 17)
इस श्लोक का अर्थ है : (श्री कृष्ण भगवान कहते हैं) जिनका मन तत् (ब्रह्म या आत्म ) रूप हो रहा है, जिनकी बुद्धि तत् (ब्रह्म) रूप हो रही है और जो निरंतर तत् (ब्रह्म) में ही निष्ठा वाले हैं, ऐसे ज्ञान द्वारा निष्पाप हुए पुरुष अपुनरावृत्ति (परमगति) को प्राप्त करते हैं।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत कृष्णा
ग़ाज़ियाबाद
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