🙏राधे राधे 🙏 

प्रणाम मित्रों ! 

आज का श्लोक भी मैंने लिया है  श्रीमद्भगवद्गीता के पांचवे अध्याय 'कर्म संन्यास योग' से । 

नादत्ते कस्यचित्पापं न चैव सुकृतं विभुः।
अज्ञानेनावृतं ज्ञानं तेन मुह्यन्ति जन्तवः॥
(अध्याय 5, श्लोक 15)

इस श्लोक का अर्थ है : (श्री कृष्ण भगवान कहते हैं) सर्वव्यापी आत्मा न किसी के पाप कर्म को ग्रहण करता है और न किसी के शुभकर्म को ही । पर ज्ञान के अज्ञान द्वारा ढके होने से सब मनुष्य उस अज्ञान से मोहित हो रहे हैं। 

शुभ दिन ! 

पुनीत कृष्णा 
ग़ाज़ियाबाद
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