🙏राधे राधे 🙏 

प्रणाम मित्रों ! 

आज का श्लोक भी मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के चौथे अध्याय से। 

अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति।
नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः॥
(अध्याय 4, श्लोक 40)

इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं) विवेकहीन, श्रद्धारहित और  संशययुक्त मनुष्य (परमार्थ से) भ्रष्ट हो जाता है। उस के लिए न यह लोक सुखप्रद है और न परलोक ही।

आपका दिन शुभ हो ! 

पुनीत कृष्णा 
ग़ाज़ियाबाद
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