चूड़ियां महिलाओं के शृंगार का एक मुख्य हिस्सा हैं। महिलाओं के हाथों में चूड़ियां उनके सुहागिन होने का प्रमाण होता है। वैदिक युग से ही महिलाएं अपने हाथों में चूड़ियां पहनती आ रही हैं। इसलिए हिन्दू देवियों की तस्वीरों और मूर्तियों में उन्हें चूड़ी पहनते हुए दिखाया जाता है। चूड़ियां पहनने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी छिपा हुआ है।


चूड़ियां पहनने के धार्मिक कारण :
देवी पूजन में दुर्गा माँ को 16 शृंगार चढ़ाया जाता है। इन सोलह शृंगार में चूड़ियां भी होती हैं। इसके साथ ही चूड़ियों को दान करने से भी पुण्य की प्राप्ति भी होती हैं। बुध देव का आशीर्वाद पाने के लिए महिलाओं को हरी चूड़ियां दान में दी जाती हैं।

चूड़ियां पहनने के वैज्ञानिक कारण :
वैज्ञानिक दृष्टि से चूड़ियां जिस धातु से बनी होती हैं उसका उसे पहनने वाली महिला के स्वास्थ्य पर अनूकूल प्रभाव पड़ता है। यानि चूड़ियां पहने के धार्मिक महत्व के साथ उनके वैज्ञानिक फायदे भी हैं। ये फायदे इस प्रकार हैं -


* चूड़ी हाथ में घर्षण करती है जिससे हाथों का रक्त संचार बढ़ता है।
* हाथों में चूड़ी पहनना सांस के रोग और दिल की बीमारी की आशंकाओं को घटाता है।
* चूड़ी पहनने से मानसिक संतुलन बना रहता है, तभी महिलाएं अपने काम को बड़े ही निष्ठा भाव से करती हैं।


* चूड़ियों का घर्षण ऊर्जा बनाए रखता है और थकान को मिटाने सहायक होता है या थकान को दूर रखता है।
* कांच की चूड़ियों के टकराने से निकलने वाली ध्वनि से वातावरण में उपस्थित नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
* कलाई के नीचे से लेकर 6 इंच तक में जो एक्यूपंचर पॉइंट्स होते है, इनके समान रूप से दबने पर शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बने रहता है।

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