हरिद्वार स्थित हर की पैड़ी पर सुरक्षा दीवार आकाशीय बिजली से नहीं बल्कि भूमिगत योजनाओं को लेकर अनियंत्रित खुदाई में पानी रिसने की वजह से गिरी थी। तीन सदस्यीय समिति ने जिलाधिकारी को बुधवार देर रात अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी। इससे पहले सभी आकाशीय बिजली से दीवार गिरने की बात कह रहे थे।
आकाशीय बिजली का नाम देकर कार्यदायी संस्था को बचाने की कोशिश
भूमिगत बिजली लाइन और गैस पाइप लाइन के लिए चल रही अनियंत्रित खुदाई को लेकर पहले ही व्यापारी मुखर हो रखे हैं। व्यापारियों का आरोप है कि मनमर्जी से कार्यदायी संस्था खुदाई कर रही है। इससे कई घरों व होटलों को खतरा पैदा हो गया है, क्योंकि खुदाई के बाद गड्ढों को ऐसे ही छोड़ दिया गया है। उसमें बारिश का पानी रिसकर मकान व होटलों की नींव में समां रहा है। सोमवार की रात को भारी बारिश के बीच ऐसा ही हुआ। बारिश का पानी रिसकर हरकी पैड़ी दीवार तक चला गया, जिससे दीवार ढह गई। इसे आकाशीय बिजली का नाम देकर कार्यदायी संस्था को बचाने की कोशिश की गई। जहां हरकी पैड़ी की दीवार गिरी है, उससे तीन मीटर पहले ही सड़क में खुदाई की गई है। टीम का मानना है कि संभवतः खुदाई में पानी रिसकर दीवार तक पहुंचा होगा।
टीम की रिपोर्ट में आकाशीय बिजली का उल्लेख नहीं
जिलाधिकारी सी. रवि शंकर का कहना है कि टीम में लोनिवि, सिंचाई, जिला खनन व भू वैज्ञानिक को शामिल किया गया था। टीम की रिपोर्ट में आकाशीय बिजली का उल्लेख नहीं है। जांच में टीम ने पाया कि दीवार आकाशीय बिजली से नहीं गिरी थी बल्कि पानी के रिसाव के कारण गिरी। जिलाधिकारी का कहना है कि भविष्य में संबंधित क्षेत्र में पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था की जाएगी। बुधवार को स्थानीय व्यापारियों ने भी इस मामले में मनमाने ढंग से की जा रही खुदाई को ही जिम्मेदार बताते हुए प्रदर्शन किया था।
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