हिंदू धर्म में एक चीज सबसे अलग है वो है किसी महिला का सोलह श्रृंगार। इस सोलह श्रृंगार में माथे की बिंदी से लेकर पांव की बिछिया तक हर एक चीज का अपना एक महत्व है।
परंपराओं की दृष्टि से तो इनके महत्व रोचक हैं। जानिए नाक में पहने जाने वाली नथनी के पीछे क्या है कारण साथ ही वैज्ञानिक तर्क क्या है।
आज के दौर की बात करें तो नथनी जिसे नोज रिंग कहा जाता है। वह आज फैशन के दौर में सबसे आगे है। नाक में नथनी हर धर्म की महिलाएं पहनती है। हिंदू धर्म की महिलाओं के लिए ये अधिक महत्व रखती है। इसे विवाहित महिलाओं की सौभाग्य की निशानी भी माना जाता है।
ये नथनी आज के दौर से नहीं राजा-महाराजाओं के दौर से भी पहनी जाती है। जो कि आज के समय में भी चली आ रही हैं।
महिलाओं के नथ पहनने के पीछे कई मान्याताएं है जैसे कि इसे नाक में पहने का प्रचलन 16वीं शताब्दी के समय मुगलकाल के दौरान भारत आ गया था। माना जाता है कि मुगल घराने की महिलाएं नाक में नथनी पहनना अपने श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानतीं थींं। इसके बिना श्रृंगार अधूरा था।
आज के समय की बात करें तो जिस लड़की की शादी हो रही है और वह दुल्हन के लिबाज में है तो हर आभूषण के साथ इसे पहनना जरुरी है, क्योंकि यह सुहाग की पहचान के साथ-साथ श्रृंगार का एक अंग होता है।
महिलाओं के नाक में नथ पहनने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। शायद ही आपको यह बात पता हो कि इसे पहनने का सीधा संबंध उनके गर्भाशय से है। हमारे नाक की कुछ नसें गर्भ से जुड़ी होती है जिसके कारण डिलीवरी के समय कम दर्द सहना पड़ता है।
इसके साथ ही आयुर्वेद में माना जाता है कि अगर किसी लड़की की नाक में ये एक उचित जगह पर छे़द किया जाए तो इसे पीरियड के समय कम दर्द सहना पड़ सकता है। इसीलिए हमेशा नाक की बाएं ओर छेदी जाती है, क्योंकि इसका संबंध प्रजनन से होता है। जिससे उसे दर्द कम हो।
इस वैज्ञानिक कारण के अलावा एक पंरपरा या यूँ कहें कि रिवाज भी है। इसके अनुसार अगर किसी महिला के पति की मृत्यु हो गई है तो वह नथनी उतार देगी। इसके अलावा इसे माता पार्वती को श्रृद्धा और सम्मान देने के लिए पहना जाता है।
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