🙏राधे राधे 🙏
प्रणाम मित्रों !
आज का श्लोक भी मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के चौथे अध्याय से।
गतसङ्गस्य मुक्तस्य ज्ञानावस्थितचेतसः।
यज्ञायाचरतः कर्म समग्रं प्रविलीयते॥
(अध्याय 4, श्लोक 23)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं) जिसकी आसक्ति नष्ट हो गई है, जिसका चित्त निरन्तर मुक्ति के ज्ञान में स्थित है- केवल यज्ञ सम्पादन के लिए कर्म करने वाले उस मनुष्य के सम्पूर्ण कर्म विलीन हो जाते हैं।
आप का दिन शुभ हो !
पुनीत कृष्णा
ग़ाज़ियाबाद
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