🙏राधे राधे 🙏
प्रणाम मित्रों !
मित्रों आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के चौथे अध्याय 'ज्ञानकर्मसंन्यासयोग' से।
यस्य सर्वे समारम्भाः कामसंकल्पवर्जिताः।
ज्ञानाग्निदग्धकर्माणं तमाहुः पण्डितं बुधाः॥
(अध्याय 4, श्लोक 19)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं) जिसके सभी कर्मों के आरंभ बिना कामना और संकल्प के होते हैं और जिसके सभी कर्म ज्ञान रूपी अग्नि द्वारा जल चुके हैं, उसको ज्ञानी लोग भी पंडित कहते हैं।
आप का दिन मंगलमय हो !
पुनीत कृष्णा
ग़ाज़ियाबाद
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