🙏राधे राधे 🙏

आप सभी को प्रणाम !

मित्रों आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के चौथे  अध्याय 'ज्ञानकर्मसंन्यासयोग' से।

किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः।
तत्ते कर्म प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्॥
(अध्याय 4, श्लोक 16)

इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं) कर्म क्या है ? अकर्म क्या है ? इसका निर्णय करने में बुद्धिमान भी मोहित हो जाते हैं। इसलिए मैं तुमसे वह कर्म कहूँगा जिसे जानकर तुम अशुभ (कर्म-बंधन) से मुक्त हो जाओगे।

आपका दिन शुभ हो !

पुनीत कृष्णा
ग़ाज़ियाबाद
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