🙏राधे राधे 🙏
आप सभी को प्रणाम !
मित्रों आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के चौथे अध्याय 'ज्ञानकर्मसंन्यासयोग' से।
काङ्क्षन्तः कर्मणां सिद्धिं यजन्त इह देवताः।
क्षिप्रं हि मानुषे लोके सिद्धिर्भवति कर्मजा॥
(अध्याय 4, श्लोक 12)
इस श्लोक का अर्थ है : इस मनुष्य लोक में कर्मों के फल को चाहने वाले देवताओं का पूजन करते हैं क्योंकि उससे कर्मों द्वारा होने वाली सिद्धि उनको शीघ्र मिल जाती है।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत कृष्णा
ग़ाज़ियाबाद
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