🙏राधे राधे 🙏
आप सभी को प्रणाम !
मित्रों आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के चौथे अध्याय 'ज्ञानकर्मसंन्यासयोग' से।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
(अध्याय 4, श्लोक 8)
इस श्लोक का अर्थ है : साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की यथार्थ स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत कृष्णा
ग़ाज़ियाबाद
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