🙏राधे राधे 🙏
आप सभी को प्रणाम !
मित्रों आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के तीसरे अध्याय 'कर्मयोग' से।
देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः।
परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ॥
(अध्याय 3, श्लोक 11)
इस श्लोक का अर्थ है : तुम लोग इस यज्ञ (कर्त्तव्यपालन) द्वारा देवताओं की आराधना करो और वे देवता तुम लोगों का पोषण करें। इस प्रकार एक-दूसरे को संतुष्ट करते हुए तुम लोग परम कल्याण को प्राप्त हो जाओगे।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत कृष्णा
ग़ाज़ियाबाद
Post A Comment: