🙏राधे राधे 🙏 

आप सभी को प्रणाम ! 

मित्रों आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के दूसरे अध्याय 'सांख्ययोग' से। 

यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति ।
तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च ॥
(अध्याय 2, श्लोक 52)

इस श्लोक का अर्थ है : जिस काल में तेरी बुद्धि मोहरूपी दलदल को भलीभाँति पार कर जाएगी, उस समय तू सुने हुए और सुनने में आने वाले इस लोक और परलोक संबंधी सभी भोगों से वैराग्य को प्राप्त हो जाएगा।  

आपका दिन शुभ हो ! 

पुनीत कृष्णा 
ग़ाज़ियाबाद
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