🙏राधे राधे 🙏
सुप्रभात !
मित्रों आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के दूसरे अध्याय 'सांख्ययोग' से।
विहाय कामान्यः सर्वान्पुमांश्र्चरति निःस्पृहः।
निर्ममो निरहंंकारः स शान्तिमधिगच्छति॥
(अध्याय 2, श्लोक 71)
इस श्लोक का अर्थ है : जिस व्यक्ति ने इन्द्रियतृप्ति की समस्त इच्छाओं का परित्याग कर दिया है, जो इच्छाओं से रहित रहता है और जिसने सारी ममता त्याग दी है तथा अहंकार से रहित है, वही वास्तविक शान्ति प्राप्त कर सकता है |
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत कृष्णा
ग़ाज़ियाबाद
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