नई दिल्ली : पुनीत कृष्णा। मित्रों न्यूज़ लाईव टुडे का यह प्रयास है कि हम नवोदित साहित्यकारों को पोर्टल के द्वारा आगे लाएं और हमारे व्यूवर्स को नई - प्रतिभाओं की रचनाएं पढ़ने को मिलें। इसी कड़ी में आज प्रस्तुत है अंबेडकर नगर (उ.प्र.) के युवा कवि प्रद्युम्न तिवारी की रचना कुछ  'करके दिखाना है' .....

युवा कवि प्रद्युम्न तिवारी

कुछ करके दिखाना है 

कुछ करना है कुछ करना है, कुछ करके दिखाना है ।
न हटना है, न मिटना है, कुछ बन के दिखाना है ।।

अमिट सभ्यता है, नहीं मिटते कभी हैं संस्कार,
पूजे जाते हैं धरा पर, हो जिनको कर्तव्य से प्यार ।

हम सब हो आरूढ़, कर्म के पथ पर जाना है,
अग्रसर हो नियति मार्ग पर, मंजिल पाना है ।

बिन किये कभी भी कर्म, लक्ष्य नहीं मिलता,
भटक रहे हैं भ्रष्ट मार्ग पर, साक्ष्य नहीं मिलता ।

आपस में मत बैर करो तुम, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
मजहब से कहीं ऊपर देखो, इंसानियत भी है भाई ।

सम्मान, प्रेम, ईमान भाव से, देश को आगे बढ़ाओ,
मौत तुम्हें क्या मारेगी, तुम मौत को मार गिराओ ।

फिर चारों तरफ हो राम राज, जैसे गंगा का पानी,
आपस में सब प्रेम करो, क्योंकि दिल है हिन्दुस्तानी ।

हिन्दू बनकर, मुस्लिम बनकर, परस्पर मत कटो-मरो,
आर्यवर्त की रक्षा पर, तुम दुश्मन सेना ढेर करो ।

दुश्मन को कर ढेर, स्वर्णिम आजादी को पाना है ।
कुछ करना है कुछ करना है, कुछ करके दिखाना है ।।
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